Jagdeep Dhankhar Resign: जल्द से जल्द कराना होगा उपराष्ट्रपति चुनाव – संविधान का अनुच्छेद 68 क्या कहता है?

Jagdeep Dhankhar Resign: जल्द से जल्द कराना होगा उपराष्ट्रपति चुनाव – संविधान का अनुच्छेद 68 क्या कहता है?
21 जुलाई 2025 को भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई बल्कि गांव-कस्बों तक चर्चा का विषय बन गया। राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव से शुरू हुआ उनका सफर, जहां एक किसान पुत्र ने खेतों से निकलकर देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद तक पहुंचा, हर देसी दिल को प्रेरित करता है। लेकिन उनके इस्तीफे ने सवाल उठाए—क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से था, या सियासी दबाव का नतीजा? संविधान के अनुच्छेद 68 के तहत अब नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। आइए, इस घटना, संवैधानिक प्रक्रिया, और इसके पीछे की सियासत को गहराई से समझें।
जगदीप धनखड़: मिट्टी से जुड़ा एक देसी चेहरा
18 मई 1951 को किठाना गांव में जन्मे जगदीप धनखड़ एक साधारण जाट परिवार से हैं। उनके पिता गोपाल चंद और माता केसरी देवी ने उन्हें मेहनत और ईमानदारी की सीख दी। रोज़ 4-5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाने वाले धनखड़ ने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में अनुशासन सीखा और राजस्थान विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक और फिर एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1979 में वकालत शुरू करने के बाद वो राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट बने। 1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से सांसद चुने गए और बाद में बीजेपी के साथ जुड़कर 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। 2022 में उपराष्ट्रपति बनने तक उनका सफर उतार-चढ़ाव और विवादों से भरा रहा। उनके इस्तीफे ने जनता में मिश्रित भावनाएं पैदा कीं—कुछ को गर्व है कि एक गांव का बेटा इतना ऊंचा पहुंचा, तो कुछ इसे सियासी खेल का हिस्सा मानते हैं।
संविधान की धारा 67 और 68: इस्तीफा और चुनाव का रास्ता
अनुच्छेद 67(a): इस्तीफे की प्रक्रिया
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(a) कहता है कि उपराष्ट्रपति किसी भी समय राष्ट्रपति को लिखित पत्र देकर इस्तीफा दे सकता है। इसकी कोई संसदीय मंजूरी जरूरी नहीं, और राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार होते ही इस्तीफा प्रभावी हो जाता है। जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। गृह मंत्रालय ने 22 जुलाई को इसे गजट में प्रकाशित किया।
अनुच्छेद 68(1) और (2): जल्द से जल्द चुनाव
अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद में मृत्यु, इस्तीफा, हटाए जाने या अन्य कारणों से रिक्ति होने पर नया चुनाव “जल्द से जल्द” (as soon as possible) कराना अनिवार्य है। संविधान विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रक्रिया आमतौर पर 60 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए। नया उपराष्ट्रपति पूरे 5 साल का कार्यकाल पाएगा, न कि धनखड़ के बचे हुए कार्यकाल को पूरा करेगा। यह प्रावधान संवैधानिक निरंतरता और गरिमा को बनाए रखने के लिए है।
पिछली घटनाएं
इतिहास में तीन उपराष्ट्रपतियों ने कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया। 1969 में वी.वी. गिरी ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया और जीतकर राष्ट्रपति बने। 1987 में आर. वेंकटरमण ने भी यही किया। 2007 में भैरों सिंह शेखावत ने राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद इस्तीफा दिया। धनखड़ का इस्तीफा इनसे अलग है, क्योंकि उन्होंने स्वास्थ्य कारण बताए, न कि कोई अन्य पद हासिल करने की मंशा।
इस्तीफे के बाद संवैधानिक प्रक्रिया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 जुलाई 2025 को धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार किया, जिसे गृह मंत्रालय ने गजट में प्रकाशित किया। अनुच्छेद 91 के तहत, उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह अब राज्यसभा की कार्यवाही संभाल रहे हैं। यह सुनिश्चित करता है कि संसद का काम बिना रुकावट चले।
पिछले उदाहरणों में, 2002 में कृष्ण कांत की मृत्यु के बाद डिप्टी चेयरमैन ने जिम्मेदारी संभाली थी। 2017 में हामिद अंसारी के कार्यकाल खत्म होने पर भी यही व्यवस्था रही। संविधान में यह साफ है कि उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में डिप्टी चेयरमैन या राष्ट्रपति द्वारा नामित कोई अन्य सदस्य यह भूमिका निभाता है। इस दौरान हरिवंश, जो जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद हैं और 2020 से डिप्टी चेयरमैन हैं, सरकार के भरोसेमंद चेहरा माने जा रहे हैं।
चुनाव प्रक्रिया और समयसीमा
उपराष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 66 के तहत होता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य (चुने हुए और मनोनीत) शामिल होते हैं। कुल 788 सांसदों का इलेक्टोरल कॉलेज सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम और गुप्त मतदान के जरिए वोटिंग करता है। यह प्रक्रिया उपराष्ट्रपति (चुनाव) नियम, 1974 और प्रतिनिधित्व जनता अधिनियम (RPA) के तहत होती है।
उम्मीदवार के लिए शर्तें:
– भारत का नागरिक हो।
– 35 साल से अधिक उम्र।
– राज्यसभा सदस्य बनने की योग्यता।
– किसी लाभ के पद पर न हो।
निर्वाचन आयोग इसकी पूरी प्रक्रिया संभालता है। नामांकन के बाद स्क्रूटनी होती है, और मतगणना सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से होती है, जिसमें पहली प्राथमिकता के वोटों की गिनती के बाद जरूरत पड़ने पर दूसरी प्राथमिकता के वोट ट्रांसफर किए जाते हैं। धनखड़ के इस्तीफे के बाद, 20 सितंबर 2025 तक नया उपराष्ट्रपति चुना जाना चाहिए। नया उपराष्ट्रपति 5 साल का पूरा कार्यकाल पाएगा, जैसा कि अनुच्छेद 68(2) में प्रावधान है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और ताजा खबरें
21 जुलाई 2025 को संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन धनखड़ ने राज्यसभा की अध्यक्षता की। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ 68 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर वाले महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार किया, जिसके बाद सरकार की ओर से लोकसभा में भी ऐसा ही प्रस्ताव लाया गया। लेकिन उसी दिन दोपहर 4:30 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में बीजेपी नेता जे.पी. नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की अनुपस्थिति ने सियासी तनाव को हवा दी। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे “अप्रत्याशित” बताते हुए कहा कि इसके पीछे “गहरी वजह” हो सकती है।
धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, खासकर मार्च 2025 में हुई उनकी एंजियोप्लास्टी और हालिया नैनीताल में अस्पताल में भर्ती होने की खबरों के बाद। लेकिन विपक्ष का मानना है कि बीजेपी नेतृत्व के साथ तनाव और विपक्षी नेताओं जैसे मल्लिकार्जुन खड़गे और अरविंद केजरीवाल से उनकी मुलाकातें भी कारण हो सकती हैं। 22 जुलाई को संसद में हरिवंश ने कार्यवाही संभाली, और बीजेपी की चुप्पी ने सियासी अटकलों को और बढ़ाया।
धनखड़ का कार्यकाल विवादों से भरा रहा। दिसंबर 2024 में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया, जिसे डिप्टी चेयरमैन हरिवंश ने खारिज कर दिया। धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के ‘मौलिक संरचना सिद्धांत’ और अनुच्छेद 142 को ‘न्यायिक परमाणु मिसाइल’ कहा, जिससे विपक्ष ने उन पर न्यायपालिका पर हमले का आरोप लगाया। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में भी उनकी तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी से तीखी नोकझोंक रही।
तुलना, समयरेखा और जोखिम विश्लेषण
समयरेखा:
– 21 जुलाई 2025: धनखड़ ने मॉनसून सत्र की अध्यक्षता की, जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार किया।
– उसी दिन दोपहर 4:30 बजे: BAC बैठक में नड्डा और रिजिजू अनुपस्थित।
– शाम: धनखड़ ने राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपा।
– 22 जुलाई 2025: इस्तीफा स्वीकार, गजट में प्रकाशित।
– सितंबर 2025: नया उपराष्ट्रपति चुनाव होने की संभावना।
तुलना तालिका:
अनुच्छेद | विवरण | उपयोग |
---|---|---|
अनुच्छेद 67(a) | उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति को लिखित इस्तीफा। | इस्तीफा तुरंत प्रभावी। |
अनुच्छेद 68 | पद खाली होने पर जल्द से जल्द चुनाव। | 60 दिनों में नया उपराष्ट्रपति। |
अनुच्छेद 65 | राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यभार। | राष्ट्रपति की रिक्ति में। |
फायदे और नुकसान:
पहलू | फायदे | नुकसान |
---|---|---|
संवैधानिक प्रक्रिया | साफ, त्वरित प्रक्रिया, संसद में कोई रुकावट नहीं। | सियासी अटकलें, अस्थिरता का जोखिम। |
चुनाव | नए नेता को पूरे 5 साल का मौका। | जल्दबाजी में गलत चयन का खतरा। |
सियासी प्रभाव | एनडीए को नया चेहरा लाने का मौका। | विपक्ष का अविश्वास बढ़ सकता है। |
विशेषज्ञों की राय और जनता की भावनाएं
संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि धनखड़ का इस्तीफा संवैधानिक मर्यादा को बनाए रखने का कदम हो सकता है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि धनखड़ के साथ उनका 30-40 साल पुराना रिश्ता था, और वो संसदीय कार्यवाही में उदार थे। लेकिन कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे “अप्रत्याशित” बताते हुए सियासी दबाव की आशंका जताई।
राजस्थान के गांवों में लोग हैरान हैं। किठाना में एक किसान ने कहा, “हमारा बेटा इतना बड़ा पद छोड़ रहा है, जरूर कोई गहरी बात है।” सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स मानते हैं कि धनखड़ ने संवैधानिक गरिमा का ध्यान रखा, जबकि कुछ इसे बीजेपी के साथ तनाव का नतीजा मानते हैं। एक X पोस्ट में लिखा गया, “धनखड़ का इस्तीफा सियासी दबाव का परिणाम है, बीजेपी को अब नया चेहरा लाना होगा।”
विश्लेषकों का कहना है कि धनखड़ का जाट समुदाय और आरएसएस से जुड़ाव उन्हें राजस्थान की सियासत में वापस ला सकता है, खासकर 2028 के विधानसभा चुनावों में। लेकिन उनके विवादास्पद बयानों, जैसे किसानों के आंदोलन को “मगरमच्छ के आंसू” कहना और आरएसएस को “ग्लोबल थिंक टैंक” बताना, ने शहरी युवाओं में उनकी छवि को प्रभावित किया।
FAQs: आपके सवाल, हमारे जवाब
1. उपराष्ट्रपति इस्तीफा कैसे दे सकता है?
अनुच्छेद 67(a) के तहत उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को लिखित पत्र देकर इस्तीफा दे सकता है, जो तुरंत प्रभावी होता है।
2. अनुच्छेद 68 क्या कहता है?
पद खाली होने पर “जल्द से जल्द” (60 दिनों में) नया उपराष्ट्रपति चुनना अनिवार्य है। नया उपराष्ट्रपति पूरे 5 साल का कार्यकाल पाएगा।
3. चुनाव में कौन वोट देता है और कैसे?
लोकसभा और राज्यसभा के 788 सदस्य (चुने और मनोनीत) गुप्त मतदान और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से वोट देते हैं।
4. कुल कितने दिन में नया चुनाव हो सकता है?
आमतौर पर 60 दिनों में, यानी 20 सितंबर 2025 तक।
5. क्या नया VP पूरे 5 वर्ष का कार्यकाल पाएगा?
हां, अनुच्छेद 68(2) के तहत नया उपराष्ट्रपति 5 साल का पूरा कार्यकाल पाएगा।
6. अगले VP की संभावना—कौन-कौन चर्चित?
हरिवंश नारायण सिंह, जद (यू) सांसद, और कुछ बीजेपी नेता जैसे ओम बिरला चर्चा में हैं, लेकिन कोई आधिकारिक नाम नहीं।
7. धनखड़ के इस्तीफे की मुख्य वजह क्या थी?
उन्होंने स्वास्थ्य कारण बताए, लेकिन विपक्ष का दावा है कि बीजेपी नेतृत्व से तनाव और सियासी दबाव भी कारण हो सकते हैं।
निष्कर्ष: संविधान की मर्यादा और सियासी सवाल
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा एक ऐतिहासिक घटना है, जो संवैधानिक प्रक्रिया और सियासी दांव-पेच का संगम है। अनुच्छेद 67 और 68 ने साफ रास्ता दिखाया कि देश का दूसरा सबसे बड़ा पद खाली नहीं रह सकता। लेकिन सवाल बाकी हैं—क्या यह इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से था, या बीजेपी और विपक्ष के बीच सियासी तनाव का नतीजा? क्या धनखड़ राजस्थान की सियासत में नई पारी खेलेंगे? Call to Action: आपको क्या लगता है—क्या धनखड़ ने मर्यादा का ध्यान रखा, या सियासत ने उन्हें मजबूर किया? अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस ब्लॉग को शेयर करें ताकि स्वतंत्र सोच को बढ़ावा मिले!
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। कृपया नवीनतम समाचारों के लिए अधिकृत स्रोतों से पुष्टि करें।
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